उसको फैलाना था पूरी दुनिया में ज़हर,तो उसने
एक मासूम बच्चे के खाने में ज़हर घोल दिया है||
वो ईशा हो या सुकरात या गाँधी,उसे दुनिया ने ,
सूली पे चढ़ाया है, जिसने भी सच बोल दिया है||
अभी तक जो बेचारे हवा के रहमों-करम पर थे,
अब उन परिंदों ने भी अपना पर तोल लिया है||
चले थे बंद कर आँखे जो लोग,रहबर के यकी पर,
कुछ देर से सही,उन सबने आँखें खोल लिया है ||
आफताब का इन्तेजार कैसा, तीरगी जैसी भी हो,
अब जुगनुओं ने जानबुझकर ये जंग मोल लिया है||
एक मासूम बच्चे के खाने में ज़हर घोल दिया है||
वो ईशा हो या सुकरात या गाँधी,उसे दुनिया ने ,
सूली पे चढ़ाया है, जिसने भी सच बोल दिया है||
अभी तक जो बेचारे हवा के रहमों-करम पर थे,
अब उन परिंदों ने भी अपना पर तोल लिया है||
चले थे बंद कर आँखे जो लोग,रहबर के यकी पर,
कुछ देर से सही,उन सबने आँखें खोल लिया है ||
आफताब का इन्तेजार कैसा, तीरगी जैसी भी हो,
अब जुगनुओं ने जानबुझकर ये जंग मोल लिया है||
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