आजकल,
सोचता हूँ यही |
तुमसे कह दूँ,
या ना कहूँ ?
हां..! हां,ये सच है,
की डरने लगा हूँ मैं,
तुम्हे पाया नहीं,
बेशक,
मगर,एक हक़ लगता है,
जैसे तुम पर मेरा है |
ये हक़,
खो न दूँ कहीं |
आजकल,
सोचता हूँ यही |
ये गुस्ताखियाँ,
यकीं मानो,
बेइरादा हैं बिलकुल |
मगर अब,
एक ठोस हकीकत भी हैं ये |
हां, ये सच है,
की तुझे चाहने लगा हु मैं |
ना जाने तेरी नज़रों में,
ये कितना गलत है,
और कितना सही |
आजकल,
सोचता हूँ यही |
तमन्ना तो बहुत है,
की जज्बात-ऐ-बयाँ हो,
मगर,
एक डर है अब,
तुम मुझे चाहो या नहीं,
आजकल,
सोचता हूँ यही |
सोचता हूँ यही |
तुमसे कह दूँ,
या ना कहूँ ?
हां..! हां,ये सच है,
की डरने लगा हूँ मैं,
तुम्हे पाया नहीं,
बेशक,
मगर,एक हक़ लगता है,
जैसे तुम पर मेरा है |
ये हक़,
खो न दूँ कहीं |
आजकल,
सोचता हूँ यही |
ये गुस्ताखियाँ,
यकीं मानो,
बेइरादा हैं बिलकुल |
मगर अब,
एक ठोस हकीकत भी हैं ये |
हां, ये सच है,
की तुझे चाहने लगा हु मैं |
ना जाने तेरी नज़रों में,
ये कितना गलत है,
और कितना सही |
आजकल,
सोचता हूँ यही |
तमन्ना तो बहुत है,
की जज्बात-ऐ-बयाँ हो,
मगर,
एक डर है अब,
तुम मुझे चाहो या नहीं,
आजकल,
सोचता हूँ यही |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें